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Sheel Nigam

Inspirational

4  

Sheel Nigam

Inspirational

माँ (श्रद्धांजलि)

माँ (श्रद्धांजलि)

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माँ! तुम श्रद्धा हो मेरी, अश्रु मेरे, श्रद्धा सुमन!!

तुम्हारी कोख में आना, अभिशाप बना तुम्हारा।

सुख-नीड़ उजड़ा तुम्हारा।

मुझे दुनिया में लाना एक जीवट प्रयत्न था।

तन-मन से झेला कष्ट, मुझे इस जग में लाना

हृदय-प्रेम था तुम्हारा।

न जाने कितनी खायीं, ठोकरें, बेरहम ज़माने की,

मुझे एक अनाथालय की छत के नीचे छोड़ कर

अपना अस्तित्व बचाने को।

न पाया स्नेह पिता का न उनकी छवि को जाना,

बस...एक गन्ध बसी है मन में, तुम्हारे रक्त की

जिसने सींचा मेरा तन।

बेटी हूँ तो क्या? आज जलाऊँगी चिता तुम्हारी

माँ का मान बढ़ाऊँगी, बेटी की कोमल प्रीत से

बेटा बन रीत निभाऊँगी।

बँधी रहेंगी आत्माएँ हमारी अपनत्व की साँकल से।

भटकती रहेगी मेरी रूह, मेरा जीवन खत्म होने पर,

क्षितिज में करेगी प्रतीक्षा।

करती हूँ इक वादा तुमसे आज इस मृत्यु-वेदी पर,

सच्ची श्रद्धांजलि दूँगी अगले किसी जन्म में,

माँ बन बेटी तुम्हें ही जन्मूँगी।



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