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Seema Garg

Inspirational

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Seema Garg

Inspirational

अगर यूँ ना होता ....

अगर यूँ ना होता ....

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प्रकृति देवी प्रथम पुरूष मेंं,

राग मिलन मनुहार ना होता! 

प्रकृति के सौंदर्य से यदि,

सृष्टि का श्रंगार ना होता! 

पृथ्वीलोक में रविकिरण से,

ऊर्जा तरंग संचार ना होता!

हिरण्यगर्भा वसुधा के आँचल,

मेंं स्नेहिल रसधार ना होता!

विभिन्न स्वाद मधुर रस पदार्थ, 

जीवजगत मेंं भण्डार ना होता!

इस धराधाम पर तो फिर बोलो,

जीवन कैसे खुशहाल होता ??

अगर यूँ ना होता ....


विश्व गुरु भारतीय संस्कृति में ,

यदि दया धर्म प्रसार ना होता!

मैं एक हूँ अनेक हो जाऊँ प्रभु, 

शक्ति भाव में संचार ना होता!

शिवशक्ति के अद्भुत मिलन से, 

अर्धनारीश्वर अवतार ना होता!

त्रेता मेंं असुरों का संहार करने,

मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम ना होता! 

ईश्वरीय विधान रचित संकल्प का,

बोलो फिर कैसे संधान होता??

अगर यूँ ना होता ...


जग में कामबाण संधान संग, 

यदि ऋतुराज अनंग ना आता! 

मदमस्त झकोरे संग समीर से,

जीवन में प्राण प्रसार ना होता!

प्रेम माधुर्य आसक्त हृदय में,

यदि मंजुल अभिसार ना होता!

यदि साधु संत सुजान गृहस्थ,

कर्त्तव्यनिष्ठ सदाचार ना होता!

नरनारी के शुभ विवाहोत्सव मेंं, 

भवानीशंकर रूपाचार ना होता! 

मैथुनी सृष्टि के संयम बिना फिर, 

बोलो कैसा ये संसार होता??

अगर यूँ ना होता...




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