सदियों का प्रेम सदियों का प्रेम
सदियों का प्रेम सदियों का प्रेम
यह कविता अपने हमसफर के लिए हृदय की प्रेम भावना की संवेदनशील अभिव्यक्ति है।
सदियों का प्रेम सदियों का प्रेम ....
प्रिय चलो मैं संग चलूँगी, तेरे रंग में मन को रगूंगी
हाथों में तेरे हाथ रहेगा, सदियों मेरा साथ रहेगा।
जब तक सूरज चन्दा चमके, तारों सितारों में ज्योति रहे।
सूरज संग जैसे है अरुणिमा, प्राची संग समीर प्राण बहे ।
यूँ रहे अमर प्रेम तेरा मेरा, जन्म जन्म तक साथ रहें।
अमरबेल बन खिल जाऊँ, केसर क्यारी प्रीत महकें ।
पुष्प पराग सौरभ नित बरसे, अलि कलियों का मुख चूमे।
मृदुल सिंचन से मन महके, मधु अमिय रस ज्यूँ छलके।
ऐसी प्रीत है मेरी सुहागन, जन्मों जन्म जिया सरसे।
मिट गयी सारी दूरी बाधा, मिला सनम जब तू हमसे।