स्मृति की किताब
स्मृति की किताब
,जबसे गये तुम दर्पण से रूसवाइयाँ हैं,
हँसी खो गई मेरी रहतीं बरबादियाँ हैं।
दिल की धड़कन में बड़ी बेताबियाँ हैं,
अन्तर पीर भरी विरही खामोशियाँ हैं।
किताबों में फूल अब मुस्कुराते नहीं हैं,
जाने वफ़ा तुझे चाहे तो भुलाते नहीं हैं।
तुम्हीं से इन धड़कनों में नगमें भरे थे,
तुम्हीं से गुलशन में हँसींगुल खिलते थे।
तुम्हीं संग मेरी रातें गुलजार रहतीं थीं,
दिल की बातें किताब पे रखा गुलाब थीं।
गुलकंद मकरंद पुहुप पराग से झरते थे,
पेड़ों की ओट में जब हम तुम मिलते थे।
तुम्हीं से थीं प्रीत की रस भरी बरसातें,
तुम्हीं से रहते थें चहुंओर मौसम सुहाने।
तुम्हीं से सात सरगम तुम्हीं से थें तराने,
तेरे बिना जाने जां अब सातरंग नहीं हैं।
बिछड़ गया अब तू दोबारा आता नहीं हैं,
जाने जां तेरा साथी भी अकेला नहीं हैं।
किताबों के पन्नें मैं पढ़ती हूँ सारी रात,
गुलाबों की खुशबू से महके से जज़्बात।
ख्बाबों ख्यालों में कभी तू आ मुस्कुराये,
तड़पता हुआ कभी मुझे क्यूँ छोड़ जाये।
जुदाई तेरी हमदम अब रूलाती नहीं हैं,
तेरी याद में गुलाब सी किताब लिख दी है।