फूल
फूल
कंटको में खिल रहा हूँ
चट्टानों में निखर रहा हूँ
कोमलता में ढल रहा हूँ
शाख पे हंस खिल रहा हूँ।
पवन बसंती का आलिंगन
मदमस्त झकोरे सहलाते हैं
तुहिन कणों से भीगे नाजुक
नर्म गुलाबी अधर खुलते हैं।
गुनगुन मधुप गुंजार करें
तितलियां चुम्बन ले इठलाती
अल्हड़ पवन खुश्बू महकाती
नर्म धूप रंग रुप सजाती।
लाल, गुलाबी,नीले,पीले
रंग बिरंगे सतरंगी रंग मेरे
बच्चें, वृद्ध ,युवा ,जवान
प्रेम दीवाने ये सारे मेरे।
फूलों का गुलदस्ता देकर
रूठी सजनी पिया मनाये
गोरे मुखड़े पे हंसी लहराये
हर्षित नयनों से शरमाये।
गुलाब,केवड़ा,चम्पा, चमेली
रात की रानी, गेंदा,अलबेली
कमल मां लक्ष्मी की निशानी
कनेर, गुडहल, फूलों की रानी।
ईश सेवा,आरती, उपासना
साधना,तप शक्ति,आराधना
जीवन का अंत मृत्यु का शूल
सबमें साथ निभाऊँ मै हूँ फूल ।
