काव्य सृजन रंग बरसें
काव्य सृजन रंग बरसें
धूम मचाती आई देखो फागुन में होली,
झांझ मंजीरे ढोलक ले मस्तानों की टोली।
द्वैष वैमनस्य नफरत को आओ दहन करें,
बुरें भाव छल होली की अग्निमें अर्पण करें।
होली प्रेम सद्भाव मिलन रंगीला त्योहार है,
बासंती बयार महकें उड़ती रंगीन फुहारें हैं।
होली के हुड़दंग में भांग पकौड़े ले संग में,
आओ चलें टोली में धूम मचाने गलियों में।
टेसू पलाश रंगों से रंगी धरा की गलियांँ है,
चोबा इत्र अगरजा संग महकती कलियांँ हैं।
लाल नीले बदरा भये गुलाल की बौछारें हैं,
बच्चों की पिचकारी से बरसे रंगीन फुहारें हैं।
राधा प्यारी सखियांँ सारी कुंँज गली में आई,
घूंँघटमें लाज लजीली राधेकी अखिंयाँ शर्माई।
रंग रंगीले रास बिहारी लाली भोली कुसुमाई,
मधुमास भरा सुहाना मौसम लेता है अंगड़ाई।
लाल नीले पीले गोरे गोरे सारे मुखड़े हुए रंगीले,
छबीला जब अंग लगाये किशोरी छतियाँ धड़के।
रंग भरे कलश सखियाँ घोली भींगी चूनर चोली,
पकड़ कलाई श्याम ने प्राण प्यारी संग भिगो ली।