ज़ख्म
ज़ख्म
ज़िंदगी के खेलों में
चोटें हमने भी खाई हैं
कुछ चोटें जिस्मानी थीं
कुछ चोटें जज्बाती थीं
जो ज़ख्म बदन पर लगते थे
वह जल्दी ही भर जाते थे
जो ज़ख्म जिगर पर पड़ते थे
अब तक नहीं भर पाए हैं
जो ज़ख्म जिस्मानी होते हैं
उनका इलाज हो जाता है
जो ज़ख्म रूहानी होते हैं
वह लाइलाज रह जाते हैं
जो ज़ख्म जिस्मानी होते हैं
निशान उनके रह जाते है
जो ज़ख्म रूहानी होते हैं
वह बे-निशान कहलाते हैं
जो ज़ख्म जिस्मानी होते हैं
उन्हें नहीं छुपाया जा सकता
जो ज़ख्म रूहानी होते हैं
अक्सर छुपाये जाते हैं
जिस्मानी ज़ख्म कुछ लम्हे रुलाते हैं
रूहानी ज़ख्म ताउम्र कसक दे जाते हैं!