Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Yogeshwar Dayal Mathur

Inspirational

4  

Yogeshwar Dayal Mathur

Inspirational

मुलम्मा

मुलम्मा

1 min
457


मुलम्मा चढ़ा गुरूर का 

मग़रूर से सराबोर थे

अल्फ़ाज़ों में गुस्ताखी थी

ज़ुबान काफी ग़ाफ़िल थी

पैर जमीं पर नहीं टिकते थे 

ऊंची उड़ानें भरते थे


उम्र ने हमें झिंझोड़ा था

मुलम्मा गुरूर का उतर गया

जो ज़हन गुरूर से आतिश था

अब साये जैसा ठंडा था

नज़रिया हमारा बदला था

ज़मीर हमारा समझ गया 


बुज़ुर्ग आँखों से जब देखा 

सब कुछ बदला नज़र आया

जो सब्ज़बाग लगाए थे 

बाग़ीचे अब वो बंजर थे 

अभिमान से बोला करते थे

वो अंदाज़ अब काफूर हुआ 


जो ओछे छोटे लगते थे 

उन सबका एहतराम किया 

जो रिश्ते हमसे टूटे थे 

उन सबसे नाता जोड़ लिया

जिन लोगों से हम कतराते थे 

उनका साथ तस्लीम किया


उधड़े रिश्ते जो जोड़े थे

उनपर पैबंद दिखाई दिए

ग़फ़लत में जो जख़्म दिए

वो ज़ख्म नहीं भर पाए थे 

खामियां औरों में देखी थीं

अपने में भी नज़र आईं


सफर में जब मुड़कर देखा 

अपना कहने को कोई न था

रवैये ने सबको दूर किया

सोचकर दिल मायूस हुआ  


मुलम्मा गुरूर का चढ़ता है 

इंसानियत बदनुमा हो जाती है 

जो चका चौंध से बच जाता है 

वो प्यारा इनसान कहलाता है 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational