Yogeshwar Dayal Mathur
Inspirational
मशगूल थे शोर शराबे में
दिन भी छोटे पड़ जाते थे
जिंदगी के उन जलसों से
कोसों दूर निकल आए हैं
महरूमियत का मौसम है
पल भी दिन बन जाते हैं
ख़ामोशी से परहेज़ नहीं
तन्हाई बहुत अखरती है।
आधे अधूरे
तोहफ़ा
कल्पना
दीपावली
कुछ लोग
मौसम
परछाईं
मुलम्मा
मुक़द्दर
शिल्पकार
हमारा वक्त बुरा है,हम नही बुरे है, संघर्ष से जीवन मे हम नही डरे है हमारा वक्त बुरा है,हम नही बुरे है, संघर्ष से जीवन मे हम नही डरे है
भूल जाओ भेद अपने , मां भारती को प्रणाम करो , इसके लिए सर्वस्व समर्पित ,एसा कुछ प्रयास। भूल जाओ भेद अपने , मां भारती को प्रणाम करो , इसके लिए सर्वस्व समर्पित ,एसा कु...
सूरज की गर्मी पाकर, पत्ता लगता है और खिलखिलाने सूरज की गर्मी पाकर, पत्ता लगता है और खिलखिलाने
पैसे के लिए लोग मां बाप को ठुकरा देते हैं पैसे के लिए लोग मां बाप को ठुकरा देते हैं
నేను కుర్రాడిగా ఉన్నప్పుడు, నేను గురించి బాధపడ్డాను నా పింప్ల్స్. నేను కుర్రాడిగా ఉన్నప్పుడు, నేను గురించి బాధపడ్డాను నా పింప్ల్స్.
साहस इनमें अदम्य है, ये तो सर्वथा प्रणम्य है! साहस इनमें अदम्य है, ये तो सर्वथा प्रणम्य है!
जीवन में नजरें उठा के जरूर देखिए कि जो दिख रहा है, वो वास्विकता है या पानी है।। जीवन में नजरें उठा के जरूर देखिए कि जो दिख रहा है, वो वास्विकता है या पानी है...
ज़र्द सुपारी पान बनारस, लगो काम पर बीड़ा चखकर। ज़र्द सुपारी पान बनारस, लगो काम पर बीड़ा चखकर।
"शकुन" याद में तेरी बीते हर पल, मेरा गुरु जी मेरे तेरा ही सिमरन हो! "शकुन" याद में तेरी बीते हर पल, मेरा गुरु जी मेरे तेरा ही सिमरन हो!
शारीरिक मनोबल का आभाव भले उम्र के हिसाब से हो शारीरिक मनोबल का आभाव भले उम्र के हिसाब से हो
सुबह नई और नया हौसला तुम्हें देगा नया मुकाम सुबह नई और नया हौसला तुम्हें देगा नया मुकाम
ज़रा पीछे मुड़ के देखो और बोलो किसी की उम्मीद कभी जगाई है क्या ज़रा पीछे मुड़ के देखो और बोलो किसी की उम्मीद कभी जगाई है क्या
धैर्य को सींचने में खुद को सम्भालने में वक्त तो लगता है मगर ना हार मान ! धैर्य को सींचने में खुद को सम्भालने में वक्त तो लगता है मगर ना हा...
हमें लड़ना ही है "गाँधी"और "भगत सिंह" के भारत के लिए हमें लड़ना ही है "गाँधी"और "भगत सिंह" के भारत के लिए
बहुत छानी ख़ाक सड़क की घर में अब बसर करते हैं! बहुत छानी ख़ाक सड़क की घर में अब बसर करते हैं!
माना आज मेरा हिंदुस्तान तुझ से हुआ किंचित निर्बल, माना आज मेरा हिंदुस्तान तुझ से हुआ किंचित निर्बल,
झुकते देखा गहरात को हिर्स के आगे बेहिस, इसलिए किरदार पाक बनाए रखता है। झुकते देखा गहरात को हिर्स के आगे बेहिस, इसलिए किरदार पाक बनाए रखता है।
ममता की मूरत है नारी बिखेरती है रंग प्यार के! ममता की मूरत है नारी बिखेरती है रंग प्यार के!
बात चली जब जीवन-रण की, कौन यहां कब हारा है। बात चली जब जीवन-रण की, कौन यहां कब हारा है।
हम जिंदा हैं यहाँ मरा तो केवल जिस्म है। हम जिंदा हैं यहाँ मरा तो केवल जिस्म है।