श्रृंगार
श्रृंगार
सजना संवरना मुझे
विरासत में मिला है
पर उसकी वजह से
ना ये चेहरा खिला है
चेहरे पे खुशी दिखती है
उसे श्रृंगार की क्या जरूरत
दिल साफ होगा तो
निखर आएगी सूरत
मन की सुंदरता को
दिखावट की जरूरत नहीं
प्यारी बोली और माया की
कोई और सुरत नहीं
सादगी तो झलक जाती है
बर्ताव अगर सुलझा हो
लोग दूर हो जाते है
भरोसा अगर उलझा हो।