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Umesh Shukla

Abstract

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Umesh Shukla

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दीयों के

दीयों के

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दीयों के प्रकाश से खिल

उठते हैं मन के सारे तार

और प्रबल होता मानस

खुशी मिलती अपरंपार

सदियों से दीप जलाकर

मानव हरता रहा अंधकार

प्रकाश उत्सव मना के करता

रहा वो खुशियों का इजहार

दीये हमें देते सतत प्रयत्न

करते रहने का सुंदर संदेश

तम का विनाश करके देते

सुगम मनमोहक परिवेश

दीयों से जगमग हो खिलें

समूचे देश के सभी राज्य

सबके घर आंगन में प्रकट

हो सही अर्थों में राम राज्य



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