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मानव सिंह राणा 'सुओम'

Abstract

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मानव सिंह राणा 'सुओम'

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बहलता है मन

बहलता है मन

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बहलता है मन तो बहल जाने दो ना।

मचलता है मन तो मचल जाने दो ना।


करीब आकर बैठे हो अभी अभी तुम तो ।

सहलता है दिल तो सहल जाने दो ना।


अभी अभी आया करीब दिल तुम्हारे।

टहलता है दिल तो टहल जाने दो ना।


अभी अभी तो तुमने हाँ की है हमसे।

उछलता है मन तो उछल जाने दो ना।


अभी अभी पास से देखा है तुमको।

पिघलता है दिल तो पिघल जाने दो ना।


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