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Shailaja Bhattad

Abstract

4.0  

Shailaja Bhattad

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दीपोत्सव

दीपोत्सव

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संस्कृति का दीप लेकर।

 विश्वास की बाती तेल में डुबोकर।

 संकल्प की तीली से।

 आत्मविश्वास की लौ जलाई है। 

 ज्योतिर्मय दीवाली आई है।

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माला का छोर अनंत हो।

 एकता का न कभी अंत हो।

 सोखकर तिमिर ज्ञान प्रकाश हो।

 घर-घर में उल्लास हो।

 सर्व हित में संस्कृति दीप हो।  

 जीवन की मुस्कान टिमटिमाती हो।

 दिव्यता का हर पल आभास हो।

 सत्य में आस्था सत्य के साथ हो।

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सबकी दुआएं मिलती रहे।  

 खुशियां यूं ही बढ़ती रहे।

 दीवाली को सही अर्थ मिले।

  हर चेहरे पर मुस्कान खिले।

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