भूल से भी भूल ना जाना
भूल से भी भूल ना जाना
भूल से भी भूल न जाना,
सच्चाई की राह को,
चाहे कितने भी चुभे कांटे,
ना छोड़ो सतमार्ग को।
रोते हुए हम आए थे,
सबको रुला कर जायेंगे,
सबके लिए हम जान भी दे दे,
फिर भी कुछ ना पाएंगे,।
साथ रहेगा अपना सत्कर्म,
बाकी सब छूट जायेगा,
कितना भी धन जमा तुम कर लो,
सब कुछ यहीं रह जायेगा,
अपना पराया कुछ भी नहीं,
सब कुछ मोह माया है,
जैसे मूंदी आंख हमारी,
लाश हम कहलाएंगे।।