मेरा परिवार
मेरा परिवार
मां की तरह गोद में मेरा सिर रखकर
मुझको यूं सुलाते हो तुम
पापा की तरह ज़िंदगी की हर धूप
मुझ तक आने के पहले
खुद यूं झेल जाते हो तुम
भाई की तरह हर कदम पर
मेरी रक्षा का वचन देते हो
और बहन की तरह मेरी चॉकलेट्स
मुझे बिन बताए खा लेते हो तुम
देखो बात तो सच्ची है कि
जब तुम्हारे साथ होती हूं ना
तो ना याद मां की आती है
ना पापा की कमी खलने देते हो तुम
इसीलिए कहती हूं मैं तुमसे कि
तुम महज़ मेरा प्यार नहीं
तुम परिवार हो मेरा
जब पहली बार तुम्हें मैंने देखा था
भरी बाजार की भीड़ में मुझे
साफ और स्पष्ट दिखे थे तुम
और जब कदम तुम्हारी ओर बढ़ाए मैंने
क्या पता क्षण भर में कहीं गुम हो गए तुम
पूरे तीन महीने बाद अपने घर की बालकनी में
चाय की प्याली पकड़े जब खड़ी थी मैं
तभी नजर ठीक सामने वाले घर पर पड़ी
जहां अपनी कोई बिजनेस मैग्जीन पढ़ रहे थे तुम
एक वो दिन था जब तिरछी नज़रों से तुम्हे देखती थी
और अब हर रोज मेरी नींद को तोड़ने वाली
सुर्य की पहली किरण से हो बन गए हो तुम
सड़क के दोनो तरफ आमने सामने खड़े होकर
सुबह की चाय साथ चाय पीने से लेकर आज
बिस्तर पर मेरे उठते ही बेड टी लाकर देते हो तुम
इसीलिए कहती हूं मैं तुमसे कि
तुम महज़ मेरा प्यार नहीं
तुम परिवार हो मेरा
मैं कई बार गुस्से में झल्ला देती हूं तुम्हें
और तब बड़ी ही नज़ाकत से मुझको संभालते हो तुम
जैसी कोई माली संवारता है अपनी बगिया को
हुबहू वैसे ही मेरा ख्याल रखते हो तुम
जब जेठ की तपिश से जलती है जमीन
और बारिश की पहली बूंद उसको राहत देती है
ठीक वैसे ही दुनिया की चकाचौंध में
मेरी आत्मा का सुकून हो तुम
इसीलिए कहती हूं मैं तुमसे कि
तुम महज़ मेरा प्यार नहीं
तुम परिवार हो मेरा
तुम शोहरत नहीं सोहबत हो मेरा
तुम मौसूकी नहीं मोहब्बत हो मेरा
तुम कण नहीं दर्पण हो मेरा
तुम रूप नहीं काया हो मेरा
तुम इश्क नहीं इकरार हो मेरा
को मोहब्बत तुमसे है उसकी सौं कहती हूं
तुम महज़ मेरा प्यार नहीं
तुम परिवार हो मेरा।