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Akanksha Kumari

Abstract Inspirational

4  

Akanksha Kumari

Abstract Inspirational

माफ़ी

माफ़ी

3 mins
363


हां याद है मुझको मां,

मैंने जो वादा तुमसे किया था।

घर आऊंगा दिवाली पर,

मैंने ये जुबां तुम्हें दिया था।

मुझे माफ कर देना मां,

मैं अपना किया वादा तोड़ आया 

मुझे माफ कर देना मां

मैं चाहकर भी तुमसे अलविदा ना कह पाया।


मां याद है....वोह कहानियां वीरों की,

जो मैं बचपन में तुमसे सुनता था।

कहता था ना की एक दिन,

मैं भी वीर फौजी कहलाऊंगा।

देखो ना मां मैंने कर दिखलाया....

तेरा बेटा अपना नाम अमर कर,

अखबार और टीवी पर भी छाया।

पर तुमसे किया वादा तोड़ दिया ना मैंने ...

मुझे माफ कर देना मां,

मैं चाहकर भी तुमसे मिलने ना पाया।


बाबा से कहना उनका बेटा 

जो बचपन में पटाखों की महज़

तेज आवाज़ से सहम सा जाता था

वोह सरहद पर जलते तोप,

और उड़ता बम का गोला भी,

उनके बेटे के कदमों को रोक नहीं पाया।

सीने में गोलियां खाकर भी

उनके शेर के लड़खड़ाए ना कदम

देश की खातिर लड़ा वोह

जब तक रहा उसकी सांसों में दम

मां पुछ लेना तुम बाबा से

"मैं उनकी लाज रख तो पाया ना?"

बस माफ वोह भी कर दे मुझे

जो खुद आकर उनकी छाती से

मैं एक बार लिपट ना पाया मैं


मां तुम कहना मेरी हीर से,

उसका माही कोई दगाबाज नहीं,

जो छोड़ जाए उसे अकेला यूं ही।

कहना उससे तुम मां....वोह हिम्मत थी मेरी।

और मैं जो नहीं हूं अब,

सजना छोड़ ना दे वोह

 ये समझाना तुम उसे,

मैं तो मिलूंगा ही उसे फिर कभी।

इस जनम जो तोड़ दिए कसमें मैंने,

अगले जनम मैं वोह सारे निभाऊंगा।

तुम कहना मां मेरी हीर से...

मैं सदा उसका ही माही कहलाऊंगा।

पर आऊंगा ना जो करवा चौथ पर अब

मैं तो एक मां के गोद में लेटा हूं।

क्या करूं ओ हीर मेरी

तेरा होने से पहले मैं मां भारती का बेटा हूँ।"

बस माफ मुझे कर दे वोह इस बार,

मैं हाथ उसका थाम ना पाया।

जो साथ वचन लिए थे संग-संग,

उसको मैं पूरा कर ना पाया।


और मां.....वोह नन्हा मेहमान

जो आया है दुनिया में बस अभी अभी,

तुम उसे इन झमेलों से दूर रखना।

थोड़ा बड़ा हो जाए वोह तो,

उसे मेरी कहानी-ए-शहादत सुनाना तुम।

मां तुम कहना उससे कि...

बहुत बहादुर थे पापा उसके।

कहना उससे कि उसे भी तो

एक दिन लड़ना है देश के लिए।

और हां मां.... मुझे उससे भी तो मांगनी है माफी

जो मैं उसका मुख देख तक ना पाया।

यहां जो कब्र में लेटा हूं मैं 

मेरी रूह हर पल कोसती है मुझे मां

जो मैं के बारी अपने बेटे को गोद ना ले पाया

मां तुम कहना उससे अगर हो सके तोह

वोह अपने पापा को कर दे माफ,

जो उसको बिठा कर अपने कंधे पर 

गांव की गलियों में घूमा ना पाया।


तुम यही सोच रही हो ना मां

कितना नालायक बेटा है तुम्हारा।

इस बूढ़ी उमर में भी तुझसे

बस काम कराए जा रहा है।

पर क्या करूं मां

मैं फर्ज के आगे नतमस्तक हो गया 

इस फर्ज़ की शान अदा तो कर दी मैंने

पर देख ना ...तेरे दूध का कर्ज चुका ना पाया।

माफ कर देना ना मां मुझे

मैं तेरे पास लौट ना पाया।

तुम्हारे और बाबा के बुढ़ापे का

सहारा तेरा बेटा बन ना पाया।


हां महसूस कर रहा हूं 

जो अपने भीगे आंचल से तुम

मेरे चेहरे को पोछ रही हो।

मेरे बदन पर जो जख्म लगे है

मां तुम उनपर प्यार से

कैसे अपना हाथ फेरती हो।

पर मां...अब इससे कुछ न होगा,

उन अखंड ज्योत की बाती जो जलती रहती है 

अब तुम्हारे किसी काम की नहीं।

मां तुम्हारी रूह का चिराग

खुद को अंधेरे में बहने से रोक ना पाया।


मुझे माफ कर दो ना मां

एक अच्छा सैनिक तो बना मैं

पर तुम्हारा अच्छा बेटा ना बन पाया।

मुझे माफ कर पाओगी क्या मां?

जो आकर तुम्हारे आंसू रोक ना पाया।

जो मैं आकर तुमसे अलविदा ना कह पाया। 

             


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