गोलगप्पा सी जिंदगी
गोलगप्पा सी जिंदगी
जिंदगी आसान ही हो तो क्या जीने का मज़ा आएगा?
सोचो तो गर झाल ना हो पानी में
तो क्या गोलगप्पा हमारे जीभ को रास आएगा?
यकीनन कई मुश्किलें आती है
जब जीवन राहों पर चलते हैं हम
जैसे किसी मोड़ पर अपने अतीत के
एक खत्म हुए हिस्से से टकराना
जैसे कहीं कुछ तलाशते हुए
बीच राह में ठोकर खाकर गिर जाना
जैसे चलते चलते एक मोड़ पर आगे
सब कुछ धुंधला सा दिखे
जैसे विशाल पर्वत हो खड़ा सामने
और पहला कदम रखने का सहारा ना दिखे
जैसे दूर-दूर तक अपनी
मंजिल का ठिकाना ना हो
जैसे समुद्र तो हो ठीक आगे
पर उस पार कोई किनारा ना दिखे
यह सब झेलने को मिलेगा हमें जब
हम सफर पर जिन्दगी की निकलेंगे
इनसे आँखें मिलाएंगे जब
तभी तो हम बेहतर ढंग से निखरेंगे
हां माना की गोलगप्पा में
डलवा सकते हैं मीठा पानी भी
पर मिठास मिठाई में ही तो
बेहतर स्वाद देती है ना
गोलगप्पा तो खट्टा और तीखा ही भाता है
जिंदा होने का सही मतलब
जिन्दगी को जीकर ही तो आता है
देखो... तरकीब बहुत आसान सी है
बस हम लगाना सीख लें
गिरकर उठना है उठकर चलना है
इस कश्मकश में याद रखना
बस हमें खुद को नहीं खोना हैं
और गांठ बांध लेना है एक बात
जैसे पानी बिन अधूरा है गोलगप्पा
ठीक वैसे ही अधूरी है जिंदगी
इसमें आती चुनौतियों के बिन।