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Akanksha Kumari

Inspirational

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Akanksha Kumari

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मेरे हीरो (day 8)

मेरे हीरो (day 8)

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पापा... डैडी...बाउजी... अब्बू...

यह तमाम शब्द उस एक शख्स के लिए

जो हर बच्चे का सुपरमैन होता है

छोटी सी उम्र और तोतली जुबान में 

हमारा ये कहते फिरना 

" मेरे पापा सबसे स्ट्रॉन्ग हैं" 

और वो लाइन याद है?

ईस्ट या वेस्ट माय डैडी इज द बेस्ट


अच्छा... याद है बच्चों की वो फरमाइशें

जो हम बच्चे यूं ही कर देते थे

"पापा, ये वाला टॉय लाकर दो

पापा ये बड़ी वाली चॉकलेट चाहिए

पापा ये नई ड्रेस दिलाओ मुझे...."

ये हमारी इक्षाएं हमारे पापा के लिए ना

उनकी ड्यूटी बन जाती थी

उनके पैर का अंगूठा भले ही

उनके जूतों से बाहर झांकता हो

हम बच्चों के लिए हमारे पापा

महंगे जूते और सैंडल ही लाते थे

खुद वो पूरा साल दो कुर्तों की सेट में गुजार देते

पर पापा हर त्यौहार पर

हमें नए कपड़े ही दिलाते थे


स्कूल में हमने दोस्त जब भी

बड़ी गाड़ियों में आते और हम

पापा से ये कहते," यार पापा हमारे पास कार क्यों नहीं है?"

और पापा का बड़े ही प्यार से जवाब देना 

" बेटा तुम पढ़ाई कर को फिर देखना

हमारे पास इससे भी बड़ी कार होगी"


उनके जेब में चार पैसे भले ना हो

पर कुछ मांग लें हम जब उनसे

तो हर बार खुशी से थी कहते

"मेरे बच्चे को जो चाहिए वो मिलेगा"

हमारी जिद को पूरा करने की खातिर 

पापा अपनी मर्जियां मारते गए

और हमारे बचपन की एक मुस्कुराहट जीतने के लिए

पापा अपनी खुशियों के हजारों लम्हे हारते गए


जब हम बुखार में होते

मां फिक्र में रात भर जागती

पर बेचैनी तो भी होती थी ना

अपने बच्चे को कभी कमज़ोर पड़ता देख

अंदर ही अंदर रोते तो पापा भी हैं ना


जो जिंदगी भर हमारी खातिर भागता रहा

हमारा वक्त खुबसूरत करने के लिए

वो पूरी जवानी मुश्किलों की समंदर को लांघता गया

अब जो हम बच्चे बड़े हो रहे

क्यूं पापा से हमारे फासले बढ़ रहे

जो बचपन में हमारा हीरो था

क्यूं आज महज़ एक आम शख्स बन गया


सुनो यार.....

अब हम बच्चे ना एक काम करेंगे

जिन आंखों को कभी गौर से नहीं देखा

आज उन्हीं आंखों की इबारत पढ़ेंगे

जो हाथ हमारे लिए काम करते थे

आज हम उन्हीं हाथों को चूमेंगे

जिन कंधों ने कभी हमें बिठाकर घुमाया था

आज उन्हीं कंधों के झुकने पर हम उनको थामेंगे

आज हम पापा को उनके हिस्से का प्यार देंगे।


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