एक विधवा ने सफेद आँचल में रंग भरे समाज के ढकोसले तोड़ कर। एक विधवा ने सफेद आँचल में रंग भरे समाज के ढकोसले तोड़ कर।
खुद की ज़िद पर था मैं आया दौलत शोहरत मन मोह माया दूर पिता से निकल आया खुद की ज़िद पर था मैं आया दौलत शोहरत मन मोह माया दूर पिता से निकल आया
और अब भी मेरी अर्थी को अन्जान ही कंधा देंगे। और अब भी मेरी अर्थी को अन्जान ही कंधा देंगे।
और महामूर्ख होना इस पृथ्वी पर अधर्म है, पाप है। और महामूर्ख होना इस पृथ्वी पर अधर्म है, पाप है।
वहां होगा कर्म का लेखा-जोखा रूह का पहला पड़ाव श्मशान है ! वहां होगा कर्म का लेखा-जोखा रूह का पहला पड़ाव श्मशान है !
यूँ प्रेम से रहने से हिन्द की धरती जन्नत से सुंदर होगी। यूँ प्रेम से रहने से हिन्द की धरती जन्नत से सुंदर होगी।