श्मशान
श्मशान
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प्रचंड है, प्रज्वलित है,
चिंताएं देखो जल रही !
सबकी आंखें नम है,
कमी है सबको खल रही !
ऐसा है एक बादल छाया,
अंधेरा हुआ घनघोर है !
जीवन है खामोश यहां पर,
बस मृत्यु का ही शोर है !
कोई मां को उठा रहा,
तो किसी का बेटा सो रहा !
दुनिया में हर पल हर दम,
कोई किसी को खो रहा !
कंधो पर पर वो ला रहे,
कफ़न उस पर चढ़ा रहे!
लकड़ी की ढेरी पर लिटा कर,
एक और चिता जला रहे !
छूट चले सारे रिश्ते नाते,
सारी धन-दौलत भी खाक है !
पंचतत्व की ढेरी बन गई,
बची बस पीछे राख है!
फिर शुरू हुआ एक सफर,
नए पंख नई उड़ान है!
वहां होगा कर्म का लेखा-जोखा
रूह का पहला पड़ाव श्मशान है !
