STORYMIRROR

aman sharma

Others

3  

aman sharma

Others

श्मशान

श्मशान

1 min
11.9K

प्रचंड है, प्रज्वलित है, 

चिंताएं देखो जल रही ! 

सबकी आंखें नम है, 

कमी है सबको खल रही !

 

ऐसा है एक बादल छाया, 

अंधेरा हुआ घनघोर है ! 

जीवन है खामोश यहां पर, 

बस मृत्यु का ही शोर है ! 


कोई मां को उठा रहा, 

तो किसी का बेटा सो रहा ! 

दुनिया में हर पल हर दम, 

कोई किसी को खो रहा ! 


कंधो पर पर वो ला रहे, 

कफ़न उस पर चढ़ा रहे! 

लकड़ी की ढेरी पर लिटा कर, 

एक और चिता जला रहे !


छूट चले सारे रिश्ते नाते, 

सारी धन-दौलत भी खाक है ! 

पंचतत्व की ढेरी बन गई, 

बची बस पीछे राख है! 


फिर शुरू हुआ एक सफर, 

नए पंख नई उड़ान है! 

वहां होगा कर्म का लेखा-जोखा 

रूह का पहला पड़ाव श्मशान है !


Rate this content
Log in