पूछो तो कहता है
पूछो तो कहता है
जागता है, भागता है
सारी रात बैठ तारों को ही ताकता है
क्यों वो सारी सारी रात जागता है?
क्यों वो आज अपने कल से भागता है?
पूछो तो कहता है,
"नींद नहीं है सोने को,
बचा ना कुछ भी खोने को!!"
टूट चुका है, बिखर चुका है,
पर फिर भी अब तक नहीं झुका है
क्यों शब्दों का घाव गहरा होता है?
क्यों इश्क की बारात में दर्द का सेहरा होता है?
पूछो तो कहता है,
"उम्मीद की कोई नहीं है किरण,
जिंदा हूं पर रुकी है बीरण!!"
यहां मेला है, पर वो अकेला है,
जिंदगी ने उसके साथ एक ऐसा खेल खेला है
क्यों जख्मों को नासूर बनाती है तन्हाई?
क्यों रात रात भर रुलाती वो जुदाई!
पूछो तो कहता है,
"जिंदगी के मेले में आज हम अकेले हैं
रातों की तन्हाई में यहां अक्सर लगते मेले हैं!!"
दिलों के बाजार है, लगती बोलीयाँ बेशुमार हैं,
कइयों की कीमत जिस्म है, कइयों की महंगी कार है
क्यों क्यों हो रहे दिल यहां नीलाम है?
सच्चे यार का बता दे कितना दाम है?
पूछो तो कहता है,
"पहने हुए आज यहां हर कोई मुखौटा है,
किसी की गलती नहीं अपना ही सिक्का खोटा है!!"
बढ़ रहा है, लड़ रहा है,
किताबें ज़िंदगी को पढ़ रहा है!
क्यों दर्द का बादल हर पल बरसता है?
क्यों दीदार को यह दिल हरदम तरसता है?
पूछो तो कहता है,
"समय के साथ चल पड़ो तो वही जिंदगी है,
बिन मतलब के प्यार करो वही बंदगी है!!"