क्यों तूने हे पापी ऐसा पाप किया है क्यों तेरे कर्म तेरे माँ-बाप की भी सज़ा है क्यों? क्यों तूने हे पापी ऐसा पाप किया है क्यों तेरे कर्म तेरे माँ-बाप की भी सज़ा है ...
सोचता हूँ तुम्हें जाकर रोकूँ कैसे मन की बात कहें। सोचता हूँ तुम्हें जाकर रोकूँ कैसे मन की बात कहें।
"उम्मीद की कोई नहीं है किरण, जिंदा हूं पर रुकी है बीरण! "उम्मीद की कोई नहीं है किरण, जिंदा हूं पर रुकी है बीरण!
धरती तपती लोहे जैसी, है जब खिलते अमलतास। धरती तपती लोहे जैसी, है जब खिलते अमलतास।
था उर मेरा स्वछंद तितली सा बिंधा शूल से। था उर मेरा स्वछंद तितली सा बिंधा शूल से।
वे मुस्काते फूल नहीं जिनको आता है मुरझाना नीलम के मेघ नहीं जिनको है घुल जाने की चाह वे मुस्काते फूल नहीं जिनको आता है मुरझाना नीलम के मेघ नहीं जिनको है घुल जाने...