STORYMIRROR

Tanha Shayar Hu Yash

Abstract

3  

Tanha Shayar Hu Yash

Abstract

दीदार की खतिर

दीदार की खतिर

1 min
257

एक तेरे दीदार की खतिर

कितना हम बैचैन रहे,

जुड़ रही है तुमसे उम्मीदें

सोचते है तुमसे कहें ना कहें।


नीलम जैसी तेरी आँखें

कितनी तन्हा चुपचाप रहें,

सोच रहा हूँ तु ऐसे ही बैठे

नजरो से नजरे साफ कहें।


चल पड़ा तुमसे दूर ज़रा पर

ये कदम वहीं ठहरे रहें

सोचता हूँ तुम्हें जाकर रोकूँ

कैसे मन की बात कहें।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract