Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

संजय असवाल

Abstract

4.7  

संजय असवाल

Abstract

उस पर एक कविता

उस पर एक कविता

1 min
446


कभी लिखी थी 

उस पर एक कविता,

जब उदास खामोश 

मन ही मन 

वो अंदर ही अंदर 

टूट रही थी, 

एक सदाबहार नदी सी

सुषुप्त अब सूख रही थी,

वो अल्हड़पन 

हिरनी सा चंचल मन,

जो आसमान में उड़ने को बेताब रहता था,

बादलों की गोद में बैठ 

आसमान को छूना चाहता था,

चिड़ियों सी फुदकती यहां वहां

हरदम फूलों सी 

दमकती रहती थी,

मासूम शख्सियत लिए

फिज़ा में अनगिनत रंग घोल देती थी,

अब वक्त के फेर में 

उसकी रंगीनियत खो सी गई है,

आंखों के नीचे 

गहराते काले धब्बे 

दिन प्रति दिन गहरे दिखने लगे हैं, 

होंटों की मुस्कान भी 

धीरे धीरे दबी जुबान में घुटने लगी है,

मेरी कलम 

ये हश्र उसका देख 

आवाक सी 

ठिठक गई थी

कागज पर उतरने को तैयार नहीं थी,

शब्दों की वो खिलखिलाहट 

जो लिखने को आतुर रहते थे 

अब गुम हो गए हैं,

अब ना वो मुस्कराता चेहरा

ना आंखों की वो चमक

जो यूं ही बहुत कुछ कह जाती थी,

अजीब सी खामोशी ओढ़े

जिसमे हर ओर 

असंख्य दर्द बिखरा पड़ा है,

याद है मुझे मेरी स्मृतियों में 

उसका भोला मासूम सा चेहरा,

जो चहकता था 

हरदम हंसी ठिठोली करता था,

बात बात पे रूठना, 

मनाने पर झट से मान जाता था

सब बीती बातें हो गई,

अब कभी कभी 

दिख जाती है 

वीरान किसी कोने में,

स्मृतियों की गठरी लिए 

अपनी उम्र के 

अंतिम पड़ाव पर 

एक अनंत विदाई के इंतजार में.....!!!!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract