जब तुम जान जाओगे...
जब तुम जान जाओगे...
जब तुम जान जाओगे
कि ईश्वर पलक झपकते
किस्मत की दिशा बदल देने की
अदृश्य शक्ति रखता है,
तो तुम किसी के बुरे दिनों पर
हंसना छोड़ उसके दुखों में अपना हृदय बिछाना सीख जाओगे।
अगर तुम समझ पाओ
कि ईश्वर हर पल, हर सांस के साथ
हमारे कदमों में साया बनकर चलता है,
तो तुम भटकते हुए रास्तों पर
अपना विवेक खोना छोड़,
सत्य के उजालों में जीवन को टटोलना सीख जाओगे।
अगर तुम महसूस कर लो
कि ईश्वर का न्याय समय से परे होकर भी
सदा अटल और अचूक है,
तो तुम किसी के साथ
अन्याय का एक शब्द न कहोगे,
बल्कि करुणा के दीप बनकर दुनियां को रोशन करना सीख जाओगे।
अगर तुम जान पाओ
कि ईश्वर की खामोशी में भी
एक संदेश छिपा है,
हर आंसू में एक सीख और
हर कठिनाई में एक आशीर्वाद,
तब तुम जीवन को भाग्य नहीं एक अवसर समझकर कृतज्ञता के साथ निभाना सीख जाओगे।
अगर तुम महसूस कर सको
कि ईश्वर की कृपा, बिन कहे भी हमारी भूलों को ढक लेती है,
तो तुम दूसरों की कमियों में
कभी दोष नहीं खोजोगे,
बल्कि दया की चादर बिछाकर
उनके घावों को मलहम लगाना सीख जाओगे।
अगर तुम समझ लो कि ईश्वर हर कदम पर
हमारी परछाईं बनकर साथ साथ चलता है,
तो तुम यूं ही राहों की धूल में
अपना मूल्य खोना नहीं,
बल्कि अपने भीतर की दिव्य ज्योति को
पहचानना सीख जाओगे।
अगर तुम समझ जाओ
कि ईश्वर का प्रेम नदी की धारा सा अविरल है
जो पाप-पुण्य नहीं देखता,
केवल हृदय की पवित्रता पहचानता है,
तो तुम क्रोध, घृणा, ईर्ष्या जैसे विषों को भीतर पालना छोड़
प्रेम की सुगंध में अपना मन बहलाना सीख जाओगे।
और जब तुम जान जाओ
कि जीवन का हर मोड़ ईश्वर की लिखावट है,
हर परीक्षा में उसकी शिक्षा है,
तो तुम शिकायतों की जगह
कृतज्ञता की भाषा बोलोगे,
और हर पल को उसकी देन मानकर समर्पण करना सीख जाओगे।
