वो बंद खिड़की
वो बंद खिड़की
वो बंद खिड़की अपने भाग्य पर इठला रही है,
कमरा रोशन हो, जगमगा उठा है,
चादर करीने से लगा दी गई है,
साइड टेबल को झाड़ पोंछ अखबार रख दिया है,
तिपाई की तिरछी टांग के नीचे पत्थर की गिट्टी रख दी है,
दरवाजे के पर्दे को करीने से पहलू में सिमटा दिया है,
कुर्सियों को कपड़ा मार, कुशन टिका दिए गए हैं,
सुराही को धो पानी भर कर रख दिया है।
बरसों बाद रसोई घर से व्यंजनों की खुशबू,
राह चलते पथिकों को ललचा रही है।
माॅ॑ के प्रवासी राजदुलारे,
लौट के वापस अपने देश आ रहे हैं।
-प्रियंका सक्सेना
(मौलिक व स्वरचित)