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Sangeeta Aggarwal

Abstract

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Sangeeta Aggarwal

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हर महिला साधक

हर महिला साधक

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हर स्त्री एक साधक है

जो साधना करती है

एक मकान को घर बनाने की

उसे प्यार से सजाने की

अपने ससुराल की वंश बेल बढ़ाने की


बच्चे को जन्म देती है मौत से गुजर

फिर जुट जाती एक और साधना मे

बच्चे को पाल पोस बड़ा करने मे

और उसे एक बेहतर इंसान बनाने मे

फिर बच्चों की शादी कर उनके घर बसाने मे


नाती पोतों को पाल उन्हे खिलाने मे

पूरा जीवन इसी साधना मे बिता देती है

बदले मे कुछ नही चाहती

ना अपने द्वारा बनाये घर की तख्ती पर अपना नाम

ना अपने द्वारा रची रचनाओं के साथ अपना नाम


बस वो साधक की तरह साधना पूरी करती है

और इन सबमे ही परम आनंद पाती है

फिर इक दिन हो जाती उस घर से हमेशा को विदा

जिस घर को घर ही वो बनाती है।


साहित्याला गुण द्या
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