दो कदम आगे चलता झूठ के साम्राज्य के केंद्र की ओर। दो कदम आगे चलता झूठ के साम्राज्य के केंद्र की ओर।
भाई के साथ खूब खेली जो छोड़ के साथ जा रही होगी भाई के साथ खूब खेली जो छोड़ के साथ जा रही होगी
कभी बजती नहीं बधाई कभी बजती नहीं बधाई
दिल में तू मेरे रहती है क्यूँ ना कहूँ मैं मेरी लाडो आखिर तू मेरी बेटी है दिल में तू मेरे रहती है क्यूँ ना कहूँ मैं मेरी लाडो आखिर तू मेरी बेटी है
जब जब तुम कुप्रथाओं का स्वागत करोगे, मैं उन्हें प्रणाम कर विदा करुँगी जब जब तुम कुप्रथाओं का स्वागत करोगे, मैं उन्हें प्रणाम कर विदा करुँगी
आपकी अमिट छवि है बाबूजी शत: शत; नमन आपको मेरे प्यारे बाबूजी। आपकी अमिट छवि है बाबूजी शत: शत; नमन आपको मेरे प्यारे बाबूजी।