आज की बाला
आज की बाला
मैं आज की बाला तुम्हें सोने न दूँगी,
भ्रष्टाचार को यूँ जागने न दूँगी,
जब जब तुम पथ से भटकोगे,
तब तब मैं तुम्हें जागृत करूँगी,
तुम्हें अलंकृत करूँगी,
तुम्हें सोने न दूँगी।
कटु वचन जब मुख अरविंद के
द्वार खोलेंगे,
तब परम प्रेम से भरे कथनों से
पट मूँद दूँगी,
तुम्हें कंटक बनने न दूँगी,
तुम्हें सोने न दूँगी।
जब जब तुम कुप्रथाओं का
स्वागत करोगे,
मैं उन्हें प्रणाम कर विदा करुँगी,
तुम्हें बददुआएँ लगने न दूँगी,
तुम्हें कंटक बनने न दूँगी,
तुम्हें सोने न दूँगी।
जब हाथ पकड़ निरलज्जता का
अन्दर आओगे,
तुम्हें चौखट लाँघने न दूँगी,
बेशर्मी का ताज पहनने न दूँगी,
तुम्हें पथ भ्रष्ट होने न दूँगी,
तुम्हें सोने न दूँगी।
जब जब रिश्वत से जेब गरम करोगे,
तब तब मैं खडग की धार का वार
करूँगी,
तुम्हें रिश्वतखोर बनने न दूँगी,
तुम्हें कंटक बनने न दूँगी,
तुम्हें सोने न दूँगी।
जब जब तुम देश से गद्दारी करोगे,
तब तब मैं सर तुम्हारा कलम करूँगी,
जब जब तुम माँ की कोख सूनी करोगे,
तब तब मैं शाप के अभिशाप से
नष्ट करूँगी,
तुम्हें पथ भ्रष्ट होने न दूँगी,
मैं नव भारत का निर्माण करूँगी,
मैं आज की बाला तुम्हें सोने न दूँगी,
भ्रष्टाचार को यूँ जागने न दूँगी।
