काश मैं छोटी ही रहती
काश मैं छोटी ही रहती
काश मैं छोटी ही रहती,
जेब में राखी ले
घूमती ही रहती।
तेरे आने पर
रूसकर बैठी ही रहती,
फिर प्यार से
राखी बाँध
चहकती ही रहती।
काश मैं छोटी ही रहती।
फूलों-सी
तेरे आँगन में
महकती ही रहती।
पतंग-सी
तेरी बातें
काटती ही रहती।
काश मैं छोटी ही रहती।
सूरज-सी
तेरी छत पर
चमकती ही रहती।
तारों-सी
तेरे आँगन में
दमकती ही रहती।
काश मैं छोटी ही रहती।
चाँदनी रातों में
तेरे संग
तारे गिनती ही रहती।
तू भूत-सा
डराता ही रहता
और मैं डरती ही रहती।
काश मैं छोटी ही रहती।
छोटी-छोटी
बातों पर तेरे से
बहस करती ही रहती।
तू बड़ा या
मैं बड़ी
यह मैं समझती ही रहती।
काश मैं छोटी ही रहती।
मम्मी-पापा की
डाँट-डपट से
तूझे बचाती ही रहती।
तेरी चॉकलेट की
नन्ही- नन्ही रिश्वत
यूँ ही खाती ही रहती।
काश मैं छोटी ही रहती।
ताप आने पर
तेरे से
सिर पर
गीली पट्टियाँ
रखवाती ही रहती।
बरामदे में
कभी तू मेरे पीछे
कभी मैं तेरे पीछे
भागती ही रहती।
काश मैं छोटी ही रहती।
काश,
तेरी मुंडेरों पर
सदा चिड़ियों-सी
चहकती ही रहती
और तेरे कानों से
रूई निकाल
अपने गाने
सुनाती ही रहती।
काश मैं छोटी ही रहती।
मैं तुझे
घड़ी का अलार्म-सी
उठाती ही रहती
और तेरे वो भद्दे-भद्दे
नामों से चिढ़ती ही रहती।
काश मैं छोटी ही रहती।
उस अनमोल
अनकहे प्यार के झूले
झूलती ही रहती।
तेरे सुरक्षा-चक्र में
काश मैं सदा ही रहती।
काश मैं छोटी ही रहती।
तेरी जुदाई
का दर्द न सहती,
राखी अपने हाथों से
तेरी कलाई पर
हर साल बाँधती रहती।
काश मैं छोटी ही रहती।
घर पर
अपना साम्राज्य
यूँ ही जमाती रहती।
सबकी लाडली बन
यूँ ही प्रेम सागर में
वास करती ही रहती।
काश मैं छोटी ही रहती।