STORYMIRROR

Surendra kumar singh

Abstract

4  

Surendra kumar singh

Abstract

साहस

साहस

1 min
146

झूठ का साम्राज्य था

और सच को

देखते ही गोली मार देने का आदेश।


सच को

झूठ के उद्घोष की खबर थी

उसके चेहरे पर मुस्कान थी

और वो निहत्था

झूठ के साम्राज्य में

चहलकदमी कर रहा था।


धमाकों की हर आवाज पर

झूठ चिलमन से बाहर

निकलकर

इस आश्वस्तता के साथ


सच को देखता था

जैसे सच विदा हो गया होगा

उसके साम्राज्य से।


सच ये होता

कि सच मुस्कराते हुये

अपने को अनावृत्त करता

दो कदम आगे चलता

झूठ के साम्राज्य के केंद्र की ओर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract