साहस
साहस
झूठ का साम्राज्य था
और सच को
देखते ही गोली मार देने का आदेश।
सच को
झूठ के उद्घोष की खबर थी
उसके चेहरे पर मुस्कान थी
और वो निहत्था
झूठ के साम्राज्य में
चहलकदमी कर रहा था।
धमाकों की हर आवाज पर
झूठ चिलमन से बाहर
निकलकर
इस आश्वस्तता के साथ
सच को देखता था
जैसे सच विदा हो गया होगा
उसके साम्राज्य से।
सच ये होता
कि सच मुस्कराते हुये
अपने को अनावृत्त करता
दो कदम आगे चलता
झूठ के साम्राज्य के केंद्र की ओर।
