Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ratna Pandey

Abstract

5.0  

Ratna Pandey

Abstract

इंतज़ार

इंतज़ार

2 mins
468


हर दिन मैं राह देखता, तकता रहता दरवाजे की ओर,

शायद आज पसीजेगा दिल, तो आ जायेंगे वह इस ओर,

कभी तो आएगी आवाज़, मुझे पापा कह कर पुकारेगा,

मिलकर गले मुझसे माफ़ी भी वह मांगेगा,


और मनाकर हाथ पकड़कर घर वापस ले जाएगा,

अपनी इस गलती के लिए बहुत वह पछताएगा,

हर रोज़ यही सोच, स्वयं को समझाता हूँ,

कि भगवान के घर देर सही परन्तु अंधेर तो नहीं होगी,

किसी दिन मेरी भी इच्छा पूरी तो अवश्य होगी,

चारों बेटों में से कोई तो मुझे लेने ज़रूरआएगा।


मेरे झुके हुए कन्धों को सहारा दे, अपना फर्ज़ निभाएगा,

किंतु निराशा से हर शाम मैं घिर जाता हूँ,

सूर्योदय होते से ही, फिर राह तकने लग जाता हूँ,

मैंने तो चारों को जी जान लगाकर पाला था,


मेरा सब कुछ मैंने उन पर व्यय कर डाला था

चारों को मैंने प्यार के चार स्तम्भ ही तो माना था।

चार मज़बूत कंधे अंतिम विदाई देंगे, इतना ही तो चाहा था,

मैंने तो अकेले ही चारों का बोझ उठाया, ना घबराया,


किंतु मेरे बुढ़ापे का बोझ उठाने, अब तक कोई आगे नहीं आया,

हैरान हूँ, आज मुझे यह दर्द बहुत सता रहा है,

चारों में से एक भी मेरे काम नहीं आ रहा है,

ऐसे संस्कार तो मैंने कभी नहीं दिये ।


मेरे पिता तो मेरे घर से, मेरे कंधों पर ही गए थे,

बहुत ख़ुश था, कि चार बेटों का मैं हूँ पिता,

किंतु लगता है कि यदि यह ना होते,

तो शायद मैं ज्यादा ख़ुश होता,


क्योंकि दिल में कोई उम्मीद का दीया ही ना होता,

चार बेटों का एक अनाथ पिता तो ना होता,

तब भी मेरी अर्थी को अन्जान ही कंधा देते,

और अब भी मेरी अर्थी को अन्जान ही कंधा देंगे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract