मूर्ख दिवस
मूर्ख दिवस
बुद्धिमान होना
इस दुनियाँ में
बहुत कठिन है
बुद्धि व्यवसाय ऐसा दुर्लभ है।
जैसै नापनी हो धरती से
आकाश की निश्चित ऊँचाई
उँगली पर गिननी हो
समूचे तारों की संख्या
ब्रह्मांड में तय करनी हो
ग्रहों की गति और दशा।
लोग अक्सर बुद्धिमान होते हैं
दिमाग़, बात, काम
ताकत, इज्ज़त, पैसा
नाम से मूर्खों की सोच
इतनी अलग होती है,
कि शायद
अचानक हिल जाये
पृथ्वी घूमते-घूमते
इधर से उधर हो जाये दुनिया।
क्योंकि मूर्ख
दिमाग़ नहीं रखते
तर्क नहीं देते
समझते नहीं
चुप रहते हैं।
सहते, पिसते
झेलते, भूलते हैं
मूर्खों के पास होता है
एक कंधा,
जिस पर बंदूक रख
चलाई जाती है
मूर्ख बहुत संतोषी होते हैं।
और महामूर्ख होना
इस पृथ्वी पर
अधर्म है, पाप है।
