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शालिनी मोहन

Abstract

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शालिनी मोहन

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समीकरण

समीकरण

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ऊँ से आधा चाँद और बिंदू

उस दिन हट जाते हैं

जब किसी एक दिन 

तालाब के किनारे बैठकर।


उसमें पत्थर फेंकने का 

शौक़ चढ़ता है, घंटों तक

छपाक छपाक की आवाज़

आती है कानों तक।


लेकिन ध्वनि और स्पंदन 

निराकार से प्रतीत होते हैं

उस एकांत में पत्थर के डूबने

की क्रिया अच्छी लगने लगती है।


चेष्टा और सक्षमता हटाने लगती हैं

पत्थर के आकार जितना पानी

फिर जन्म लेता है मुक्तिबोध

बढ़ता रहता है।


पत्थर के आकार जितना

हाँ, उ भी डुबकी लगाता है 

अगरबत्ती के धुएँ जैसी

अपनी पूँछ छोड़कर

जो धीरे- धीरे हवा में

घुलने लगती है।


आधा चाँद और बिंदू 

ऊपर तैरते हैं।


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