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Indu Verma

Inspirational

2.5  

Indu Verma

Inspirational

"लोग क्या कहेंगे"

"लोग क्या कहेंगे"

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कुछ लड़कियां बेबाक उड़ी

सारे बंधन तोड़कर

कुछ बेटियां मंडप से उठी

"दहेज" की मांग रौंदकर

कुछ बहुओं ने आवाज़ उठाई


अपने अस्तित्व को लेकर

कुछ लड़कियां ने ज़िद ठानी

सजा दिलाने की

ज़िस्म नोचा था जिसने

"इंसानियत" छोड़कर

कुछ लड़कों ने भी

दिल का गुबार फोड़ा


सबके सामने रो कर

कुछ प्रेमियों ने विवाह किया

"लिंग भेद"छोड़ कर

कुछ पिताओं ने बेटियां खूब पढ़ाई

"ब्याह" की चिंता छोड़कर

कुछ बेटों ने कत्थक अपनाया


डिग्रियां ताक में रखकर

कुछ माँओं ने बच्चे अकेले पाले

पुरुष का कंधा छोड़ कर

एक विधवा ने सफेद आँचल में रंग भरे

समाज के ढकोसले तोड़ कर।


हाँ कुछ लोग जिये, सच में जिये

खुद के लिये जिये,

ज़िन्दगी की कद्र कर के जिये

लोग क्या कहेंगे ये फिक्र छोड़कर

"लोग क्या कहेंगे" ये फिक्र छोड़ कर।


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