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Indu Verma

Inspirational

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Indu Verma

Inspirational

"दुःख माँ का"

"दुःख माँ का"

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चक्की के दो पाट से रिश्ते

धान सी पिसती बीच में माँ

रिश्तों के बीच-बचाव में आ कर

चप्पल जैसी घिसती माँ


रिश्ते नाते घर परिवार

अच्छा बुरा सब स्वीकार

दर्द को खुद की दवा बना के

घाव के जैसे रिसती माँ


तुम माँ हो फिर भी समझाया नहीं

सब कुछ जानो पर सिखाया नहीं

इस सीख सबक के छोर से बंध कर

रबर जैसे खिंचती माँ


तुझे वो प्यारा बस मैं नहीं

हूँ मैं गलत, सिर्फ वो सही

तेरा-मेरा कर सब हाथ छटक दें

फिर मुठ्ठी जैसे भिंचती माँ


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
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