बंधन
बंधन
हाथों की लकीरों में बंधा है ये बंधन
ये रिश्ता रेत सा नहीं जो बिखर जाएगा
बहुत सलीके से संवारेंगे हर किस्से को हम
ये दिल बच्चा तो नहीं जो मचल जाएगा।
अपने अहसासों की गर्मी सुलगाये रखना
ये रिश्ता बर्फ सा नहीं जो पिघल जाएगा
मोहब्बत से रौशन करेंगे हर पल को
ये इरादा सूरज सा नहीं जो ढल जाएगा।
हर जरुरत से जरूरी एक दूजे की जरुरत
ये वादा शीशे सा नहीं जो "चटक" जाएगा
"प्रिव्या" से जुड़ी है अब "नरेन्दू" की कड़ी
इस मोहब्बत का रंग अब और "चटख" आयेगा।
झगड़े शिकायत इन्हें दिल से न लगाना
जो चाहता है हमको वही तो सताएगा
इस प्यार के प्यारे से चेहरे को प्रियतम
तकरार का "काला टीका" ही बचायेगा।