इक अजनबी लड़की
इक अजनबी लड़की
इक अजनबी सी लड़की अक्सर मुझे है मिलती
खामोश लब हैं रहते आंखों से कुछ है कहती
शायद आंखें उसकी सवाल यही हैं करती
कौन है तू मेरा क्या तेरी मैं हूं लगती
इक अजनबी सी लड़की अक्सर मुझे है मिलती।
कशमकश में अब तो रातें मेरी हैं कटतीं
बेचैन दिल की धड़कन बस यही है कहती
श्याम है तू उसका मीरा है वो तेरी।

