लम्हें जिन्दगी के
लम्हें जिन्दगी के
तुम्हारी याद में हर लम्हा गुजारा है
तेरे शाने पर रखकर सर हर ग़म हारा है
मेहनत मशक्कत करने की ठानी
तुम बिन सूनी लगी जिंदगानी
लम्हा लम्हा पिघली हूं
तेरी खातिर कितना बदली हूँ
आज भी दिल के कौने में छुपा बैठा है
किसी बच्चे की जिद सा रुठा है
मना लूंगी तुझे एक दिन
यह होगा मुमकिन
लम्हा चुरा लिया था
आज लौटा भी दो !