ईश्क में पागलपन
ईश्क में पागलपन
आती है तेरी याद तब, आंखों से आंसु बहते हैं ,
ईश्क की अग्नि में हम, हर पल ज़लते रहते हैं ।
न रहो दूर मुझ से तुम, ओ मेरी ज़ानेमन,
अब रहा नहीं जाता मुझ से, तेरे बिना ओ सनम।
आ जाओ पास मेरे, हम तड़पते रहते हैं ,
ईश्क की अग्नि में हम, हर पल ज़लते रहते हैं ।
दिल धड़कता रहता है मेरा, हर धड़ी तेरे ईश्क में,
आकर महसूस कर लो तुम, मेरे दिल के करीब से।
न तरसाना अब मुझ को, मिलन के लिये तरसते हैं ,
ईश्क की आग में हम, हर पल ज़लते रहते हैं ।
ईन्तज़ार कर रहा हूँ मैं, ज़ानेमन तुम आ ज़ाओ,
मुझ से ईश्क करके तुम, दिल में मेरे बस ज़ाओ।
ओ मेरे ख्वाबों की मल्लिका , जिया मेरा बेकरार है ,
ईश्क की आग में "मुरली", हर पल ज़लते रहते हैं ।