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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance

4  

Dhanjibhai gadhiya "murali"

Romance

ईश्क में पागलपन

ईश्क में पागलपन

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आती है तेरी याद तब, आंखों से आंसु बहते हैं ,

ईश्क की अग्नि में हम, हर पल ज़लते रहते हैं ।


न रहो दूर मुझ से तुम, ओ मेरी ज़ानेमन,

अब रहा नहीं जाता मुझ से, तेरे बिना ओ सनम।


आ जाओ पास मेरे, हम तड़पते रहते हैं ,

ईश्क की अग्नि में हम, हर पल ज़लते रहते हैं ।


दिल धड़कता रहता है मेरा, हर धड़ी तेरे ईश्क में,

आकर महसूस कर लो तुम, मेरे दिल के करीब से।


न तरसाना अब मुझ को, मिलन के लिये तरसते हैं ,

ईश्क की आग में हम, हर पल ज़लते रहते हैं ।


ईन्तज़ार कर रहा हूँ मैं, ज़ानेमन तुम आ ज़ाओ,

मुझ से ईश्क करके तुम, दिल में मेरे बस ज़ाओ।


ओ मेरे ख्वाबों की मल्लिका , जिया मेरा बेकरार है ,

ईश्क की आग में "मुरली", हर पल ज़लते रहते हैं ।


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