जब तुम मेरे साथ रहो
जब तुम मेरे साथ रहो
दोनों बिछड़े न बिछड़कर यूँ ही
इन आँखों में क्यूँ रात करें
जब तुम मेरे साथ रहो
तब क्यूँ तनहाई की बात करें
मैं लग के रहूँ तेरी आहट से
मैं चलूँ तेरे कदम पे ही
बिछड़े न कभी तू हमनशीं
जब देखूँ तुझे अपने दम पे ही
मैं देखूँ तुझे जी भरके ही
छा जाये तू इन आँखों में
पाऊँ मैं भी तेरी ख़ुशी
मैं बसा लूँ तुझे ख़्वाबों में
मैं तुझसे ही कुछ बातें करूँ
मैं बोसा करूँ तेरे माथ पे
न तू मुझसे कभी दूर रहे
मैं रहूँ सदा तेरे साथ में।
मैं यादें रख दूँ तेरे सिरहाने पे
मैं पास रहूँ तुझसे जुड़के ही।
बीते पल हम दोनों के,
न जाऊँ घर कभी मुड़के ही
मैं दे डालूँ अपना वक्त तुझे
मेरा दिल भी तेरे पास रहे
चाहूँ मैं तेरे संग ही रहना
तू रहे तो क्यूँ मेरी प्यास रहे।।