तुम यहीं हो...
तुम यहीं हो...


मैंने तुम्हें बस तन्हाई में याद किया
ये बात तुम्हें हमेशा कचोटती
तुम जाना चाहते थे
और तुम चले गए
मगर सुनो !
तुम अब भी यहीं हो
मेरे आसपास
मेरे बहुत पास
तुम्हारे कंधे पर सर रखकर
मैं अक्सर बांटती हूं अपना दर्द
तुम आगे करते हो अपनी हथेली
मैं टपका देती हूं आंसू
तुम पी लेते हो मेरा दुःख
तुम छू लेते हो बस इतना
कि लगा सको मरहम
मेरे हर जख्म पर
तुमसे करती हूं मैं बातें
ढेर सारी बातें
तुम सुनते हो गौर से
बस सुनते जाते हो
तुम लाते हो कुछ फूल
मुस्कराते - खिलखिलाते
रख देते हो मेरी झोली में
मैं बिखरा देती हूं
महकती है एक मनमोहक खुशबू
महक जाती हूं मैं भी
फिर आती हूं मैं करीब
बस इतना करीब
कि सुन सकूं तुम्हारी धड़कन
उस धड़कन में अपना नाम
तुम्हें पता है
मेरी दुनिया से
तुम तभी जाओगे
जब मैं जाने दूंगी
और मैं तुम्हें जाने नहीं दूंगी.......