प्रेमियों के हदय में ईश्वर
प्रेमियों के हदय में ईश्वर


मैं ईश्वर को ढूंढने निकल पड़ी
देवालयों में , पहाड़ों में , जंगलों में
मुझे ईश्वर महसूस होता
मगर दिखता नहीं
मेरा मन कहता वो यहीं हैं , यहीं कहीं
झीलों में , नदियों में , सागरों में
महसूस होता है तो दिख भी जायेगा
मेरी आंखें कहतीं वो यहीं हैं
धरती में , पेड़ों में , बादलों में
हां ! ढूंढ ना एक दिन मिल ही जायेगा
मैं मृगिनी बन दर दर भटकती
ठोकरें खाती
गिरती - संभलती
अविरल चलती&nb
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ईश्वर को ना देख पाने की
अपनी बेबसी पर रोती
ईश्वर तक ना पहुंच पाने की
अपनी नाकामी पर हंसती
फिर एक दिन बंद आंखों से मैंने आईना देखा
आईने में अपना हदय
हदय में प्रेमी का चेहरा
प्रेमी के चेहरे में ईश्वर
मैं मुस्करा उठी अपनी नादानी पर
मैं जान गई
ईश्वर प्रेम में पड़े हदय में रहता है
अप्रेमियों को कहीं नहीं दिखता ईश्वर
प्रेमियों को हर जगह दिखता है ईश्वर ।