हां, करीब आने को है
हां, करीब आने को है


मौसम जो करवट बदलने को बेताब है
तेरी तारीफ़ के पन्नों से यूं भरी किताब है
नजारे गुनगुना रहे हैं गीत तेरे अंदाज के
ये वक्त रुका सा बस..
तुझे नर्म आगोश में लेने को है..
बात वहीं रुक जाए या सांस थम जाए
अब तू बस मेरे और करीब आने को है
ना लगे नज़र इस लम्हे को ना बात अधूरी रहे
आंखों के काजल का टीका जब गालों पे सजे
होंठ हिलें धीमे से जब नाम मेरा दिल से निकले
समझ लूंगा ये नर्म इशारे जब याद तू मुझे करें
मिलेंगी नर्म सांसे जब बादल भी धुंधला जायेंगे
बहती दरिया उड़ते पंछी के नील नजारे थम जाएंगे
जहां ठहर जाएगा बरबस रुक जाएगी लहर पे कश्ती
लेकिन कयामत तक रहेगी जिंदा तेरी मेरी जवां हस्ती
वक्त रुका सा बस..
तुझे नर्म आगोश में लेने को है..
बात वहीं रुक जाए या सांस थम जाए
अब तू बस मेरे और करीब आने को है
हां करीब आने को है.... आने को है।