विश्वास की डोर
विश्वास की डोर
घेरने लगे मुझे जब भी अँधेरा
तुम बिजली बन चमक जाना
इश्क की सूखे गर नदी
प्यार की बदली बन बरस जाना
उदासियां घेर ले तो मुझे
तुम मुस्कुराहट बिखेर देना
अवसाद के समुद्र में डूब जाऊं तो
तुम तलहटी में भी खोज लेना
मैं गलतियाँ करूं पर तुम
खफा मत होना माफ कर देना
अगर सफल हो आगे बढ़ूं
मेरी हौसला अफजाई कर देना
चांद तारे तोड़ो ये जरूरी नहीं
ताजमहल न सही एक घर बना देन
प्यार के ये बंधन अटूट है
विश्वास की डोर थामे रहना।