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Arvina Ghalot

Inspirational

4  

Arvina Ghalot

Inspirational

तुम कविता हो

तुम कविता हो

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लफ्ज़ में लिपटी कविता

बहे मध्यम बयार सी 

ऊँचाइयों को छूकर गुज़रती

कभी गुलाबों सी महकती 

पन्नों पर हाले दिल बयां करती

स्याही को माध्यम बनाकर

बातों से लुभाया करती 

हे कविता तुझसे मुहब्बत है

दिलों दिमाग पर तुम ही तुम 

मेरे पहलू में बैठ कर मुस्कुराती 

मेरे जीने का सबब बन जाती हो

हर दिन नये जौशोखरोश से 

एक नये दिन का आगाज़

लिए हां तुम कविता हो


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