कहां तक रुकूं मैं कहां तक मैं रोकूं है मेरा वहम खुद को रोकूं न सोचूं न माने मनाए कहां तक रुकूं मैं कहां तक मैं रोकूं है मेरा वहम खुद को रोकूं न सोचूं ...
महकती कली ने गुलाब भेजा है महकती कली ने गुलाब भेजा है
अब कैसे करूं अलहदा इसकी ख़ुशबू से खुद को अब कैसे करूं अलहदा इसकी ख़ुशबू से खुद को
या ज़िन्दगी की खुशबू से महकती नाज़ुक सी कलियाँ, या ज़िन्दगी की खुशबू से महकती नाज़ुक सी कलियाँ,
मेरी माँ.. तू यूँ ही सिंदूर भरी माँग और हाथों में लाल चूड़ी से दमकती रहे मेरी माँ.. तू यूँ ही सिंदूर भरी माँग और हाथों में लाल चूड़ी से दमकती रहे
झूम के बरसात में वो सर सराती चल पड़ी, ये पहाड़ों में कभी तेवर दिखाती है हवा। झूम के बरसात में वो सर सराती चल पड़ी, ये पहाड़ों में कभी तेवर दिखाती है हवा।