पहाड़ों से निकलकर आने वाली निश्छल नदी की दास्तान जिसे मनुष्य प्रदूषित कर चला है पहाड़ों से निकलकर आने वाली निश्छल नदी की दास्तान जिसे मनुष्य प्रदूषित कर चला है
झूम के बरसात में वो सर सराती चल पड़ी, ये पहाड़ों में कभी तेवर दिखाती है हवा। झूम के बरसात में वो सर सराती चल पड़ी, ये पहाड़ों में कभी तेवर दिखाती है हवा।
निशाचर का आगोश जब पसरे पहाड़ों पर, तेरे दीदार को व्याकुल एक प्यासी रुह निशाचर का आगोश जब पसरे पहाड़ों पर, तेरे दीदार को व्याकुल एक प्यासी रुह