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Manju Saini

Inspirational

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Manju Saini

Inspirational

सालते जज़्बात

सालते जज़्बात

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अब मन नही करता हैं

उसका चेहरा देखने का 

क्योंकि नोंचे हैं उसने

मुझमें मेरे जज्बात 


उसकी चालबाजी थी

मेरी समझ से परे

मैं नही समझी थी उसकी गिद्ध नजरें


गुफ्तगू तब तक की 

जब तक जरूरत थी उसको

और वो खेल गया मेरी भावनाओ से

भयावह लगती हैं


अब मुझे वो मुलाकाते

जो छल कर की थी उसने मेरे संग

 क्या अब जी रही हूँ मैं


 जिंदा लाश की तरह

अपने जनाजे की राह तकती सी

मैं और मेरे जज्बात

मानों अब मर गए है 

शायद वो खुश होगा मेरे इस हाल पर।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
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