मोहब्बत
मोहब्बत
सुनों, क्या मै सुनाऊँ तुम्हें एक किस्सा,
जिसके जरूरी किरदार हो तुम,
तुम से जुड़ा है, इस कहानी का हिस्सा,
मेरे प्यार की कहानी के सार हो तुम।
जहाँ तुमसे होती है दिन की शुरूवात,
और तुमसे ही सोती है मेरी हर रात।
जो तुम हंस दो तो हँस दे ये दसों दिशाएँ,
आवाज़ तुम्हारी जैसे कानो मे शहद घोल जाये,
जो पुकारो मेरा नाम, समां ये थम जाये,
जो कभी छु लो मुझे, मेरी साँसे जम जाये।
कभी कृष्ण से नटखट नज़र आये,
तो कभी भोले से शान्त हो जाये
कितने नाम से पुकारू तुझे,
तू कितने नाम से जाना जाये।
कितना प्यार करूँ तुझे,
जो तुझे मेरा प्यार समझ आये,
मेरे प्यार की उम्र मुझे,
मेरी उमर से ज्यादा नज़र आये।
मेरी कविता मेरे ज़ज़्बात हैं तेरे,
मेरे जज़्बात हर किसी के लिए ना लिखी जाये,
की कैसे समझाऊं मै इस का सार,
इसमे मोहब्बत हैं मेरी, जो हर किसी से ना की जाये।।